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वर्षों से हमारे समाज में स्त्री और पुरूषों के बीच भेद किया जाता रहा है. बिना योग्यताओं की तुलना किये लड़कों को लड़कियों के ऊपर प्राथमिकता दी जाती रही है. वास्तव में काबिलियत स्त्री-पुरूषों के बीच भेद नहीं करती. इसका जीता-जागता उदाहरण गुजरात का सिसवा गाँव है.
गुजरात के आनन्द जिले का यह गाँव गुजरात की राजधानी गाँधीनगर से करीब 116 किलोमीटर दूर अवस्थित है. जहाँ एक ओर समाज में स्त्रियों को पुरूषों के बराबर अधिकार के लिये पैरोकारी की जा रही हो वहीं सिसवा एक ऐसे गाँव के रूप में सुर्खियों का हिस्सा बन रहा है जिसका स्थानीय प्रशासन स्त्रियों के हाथ में है. यहाँ स्त्रियों के हाथ में केवल प्रशासन भर नहीं है बल्कि वो अपेक्षा के अनुसार परिणाम भी दे रही है.
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सिसवा में पंचायत के सभी पदों पर स्त्रियाँ हैं जिसका नेतृत्व 26 वर्षीया हिनल पटेल के हाथों में है. 12 सदस्यों वाली परिषद का नेतृत्व भी हिनल पटेल के कंधों पर है. इस परिषद में शामिल सभी युवतियों की उम्र 21 से 26 साल के बीच है. परिषद के सदस्यों ने ग्रामीणों के सहयोग से गाँव में शुद्ध पेयजल की व्यवस्था के साथ-साथ अच्छी सड़क, सौर ऊर्जा की भी व्यवस्था की है. अपने इन प्रयासों में सफलता के बाद परिषद के सदस्य अपने गाँव को पूर्णतया ई-गाँव बनाने की दिशा में काम कर रहे हैं. इसकी शुरुआत वो गाँव की अपनी वेबसाइट से कर रहे हैं.
परिषद की सभी सदस्या या तो काम कर रही है या पढ़ाई. हिनल स्वयं नर्सिंग में स्नातक है जबकि निशा पटेल मोटर बाइक कम्पनी में प्रबंधक और राधा पटेल अभियंता है. ये सभी युवतियाँ रविवार को मिलती हैं और तय काम के अनुसार अपने काम में लग जाती हैं. हिनल जहाँ स्वास्थ्य की देख-रेख करती हैं वहीं राधा आधारभूत संरचनाओं का काम देखती हैं. ऐसी सभी युवतियों के मिले-जुले प्रयास ने सिसवा को बदल दिया है. उम्मीद है कि इस बदलाव की बयार गुजरात और समूचे भारत के दूसरे गाँवों तक भी फैलेगी! Next….
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