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भारत भूमि सदा से ही वीरांगनाओं की भूमि रही है. भारतीय इतिहास ऐसी महिलाओं की अदम्य साहस और वीरता से भरी पड़ी है. ये कहानियाँ सदा से ही समाज को प्रेरित करती रही है. नीरजा भनोट वीरांगनाओं की उसी सूची का एक हिस्सा है जिसने अपहृत विमान में अपनी जान देकर कई लोगों की जान बचाई.
वैसे तो नीरजा भनोट किसी परिचय की मोहतज नहीं, परंतु एक प्रेरणा-पुंज के रूप में वो सदा ही समस्त विश्व की नारियों को अपने अदम्य साहस से आलोकित करती रहेंगी.
महज 23 साल की उम्र में अपनी जान देकर कईयों को ज़िंदगी जीने का अवसर देने वाली नीरजा का जन्म 07 सितम्बर 1963 को चंडीगढ़ में हुआ था. इनके पिता हरीश भनोट पेशे से पत्रकार थे. नीरजा की शिक्षा-दीक्षा मुंबई में हुई. शादी के बाद वो अपने पति के साथ खाड़ी चली गई परंतु शादी अच्छी न चलने के कारण वो दो महीने में ही मुंबई वापस लौट गईं. मुंबई में ही उन्होंने अमेरिकी विमान कंपनी पैन एम में विमान परिचारिका के पद के लिए आवेदन किया. इस पद पर उनका चयन हो गया और प्रशिक्षण के लिए उन्हें मियामी भेजा गया.
वो मनहूस सुबह
एक दिन न्यूयॉर्क जाने के क्रम में उनका विमान पी ए 73 मुंबई से निकल कराँची हवाई अड्डे पर उतरा तो विमान का लीबिया समर्थित आतंकी संगठन अबु निडाल के चार सशस्त्र लोगों ने अपहरण कर लिया. अपहरणकर्ताओं ने नीरजा से सभी अमेरिकी नागरिकों के पासपोर्ट इकट्ठा करने को कहा ताकि अमेरिकियों की पहचान कर उन्हें मारा जा सके. नीरजा भनोट ने तुरंत ही सूझबूझ का परिचय देते हुए विमान के पायलट, सह पायलट और इंजीनियर को सतर्क कर दिया. वो तीनों वहाँ से निकलने में कामयाब हो गए. नीरजा ने अन्य परिचारकों के साथ मिलकर 41 अमेरिकियों के पासपोर्ट को सीट के नीचे छुपा दिया. परंतु, कुछ घंटों के बाद ही चारों अपहरणकर्ताओं ने यात्रियों पर गोली बरसानी शुरू कर दी. नीरजा भनोट ने बड़ी ही फुर्ती के साथ आपातकालीन खिड़की को खोल दिया और अपनी मौज़ूदगी में यात्रियों को उससे बाहर निकालने में मदद करने लगी. परंतु किस्मत को उनकी जान से कम मंजूर ही नहीं था. तीन बच्चों को अपहरणकर्ताओं की गोली से बचाने के लिए उन्होंने अपने आप को उसके आगे कर दिया. इस तरह भारत ने अपनी एक और बहादुर बेटी को खो दिया.
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दिलेरी की मशाल जलती रहेगी
देश की इस अदम्य साहसी बेटी के सम्मान में भारत सरकार ने उन्हें बहादुरी के लिए भारत के सबसे बड़े नागरिक सम्मान अशोक-चक्र से सम्मानित किया. इस पुरस्कार को ग्रहण करने वाली वो सबसे कम उम्र की भारतीय नागरिक थी. भारतीय डाक विभाग ने वर्ष 2004 में उनके नाम पर एक डाक टिकट जारी किया. अमेरिका में उन्हें मरणोपरांत जस्टिस फॉर क्राइम अवार्ड से सम्मानित किया गया. उनकी याद में मुंबई के घाटकोपर के एक चौक का नाम नीरजा भनोट चौक रखा है.
‘नीरजा’ नाम से बनी फिल्म
बीते दिन ‘नीरजा’ नाम से बनी फिल्म का ट्रैलर लॉच किया गया. यह फिल्म नीरजा भनोट की जिंदगी पर आधारित है. इस फिल्म सोनम कपूर नीरजा भनोट के किरदार में दिखेंगी. इस फिल्म को फॉक्स स्टार इंडिया प्रोड्यूस कर रही है
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