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बात 2010 की है जब खूबसूरत सी दिखने वाली नीलोफर रहमानी को कही से पता चला कि अफगान एयर फोर्स में पायलट की भर्ती की जा रही है. मन में कई सुनहरे सपने लिए नीलोफर ने सोचा कि यही वह मौका है जब वह अपनी मंजिल तक पहुंच सकती हैं.
यही वह साल था जब नीलोफर को अफगान एयरफोर्स ऑफिसर ट्रेनिंग प्रोग्राम के लिए चुना गया. फिर आया जुलाई 2012 का साल जब उन्होंने सेकंड लेफ्टिनेंट में स्नातक किया. इसके बाद तो नीलोफर बतौर पायलट हवाओं और बादलों से बात करने लगीं.
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उन्होंने पहली बार सेसना-182 उड़ाया था. अपनी पहली उड़ान में उन्होंने फैसला कर लिया था कि वह बड़े विमान उड़ाएंगी. इसी वजह से उन्होंने एडवांस्ड फ्लाइंग स्कूल अटेंड किया. अब जल्द ही सी-208 मिलिट्री कार्गो एयरक्राफ्ट उड़ाएंगी. आपको बता दें नीलोफर रहमानी बचपन से ही पायलट बनने की इच्छा रखती हैं. इसके के लिए उन्होंने करीब एक साल तक अंग्रेजी सीखी ताकि वह फ्लाइंग स्कूल में जा सकें.
अपनी काबलियत की बदौलत जैसे-जैसे नीलोफर रहमानी ने उपलब्धियों को हासिल करना शुरू किया अफगानिस्तान में बसे तालिबानी उन्हें धमकी देने लगे. हद तो तब हो गई जब नीलोफर को उसके ही घर वालों ने अफगान एयरफोर्स में न जाने की धमकी देते रहे. लेकिन नीलोफर कहा मानने वाले थी उन्होंने न केवल ऐसी धमकियों को नजरअंदाज किया बल्कि अपने लक्ष्य की ओर आगे बढ़ती गईं.
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अफगान मिलिट्री की पहली महिला पायलट नीलोफर रहमानी का लक्ष्य फ्लाइट इंस्ट्रक्टर बनना है ताकि वह अन्य महिलाओं को प्रेरित कर सकें. अपनी इस बात पर वह पूरी तरह से प्रतिबद्ध दिखती हैं कि “वह युवा महिलाओं को अफगान एयरफोर्स में पायलट बनने के लिए प्रेरित करती रहेंगी”.
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