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महिलाओं के प्रति कई नकारात्मक खबरों के सुर्खियों में आने के बाद भी हमारे आसपास ऐसी कई महिलाएँ हैं जिन्होंने विपरीत परिस्थितियों का सामना करते हुए भी अपने कारनामों से महिलाओं और पूरे समाज को प्रेरित किया है. ये समाज के लिए प्रकाश-पुंज का काम करती हैं. जानिए ऐसी ही कुछ महिलाओं के बारे में……
भँवरी देवी
एक कुम्हार परिवार में जन्म लेने वाली भँवरी देवी पिछड़ी महिलाओं की साथिन बनकर उनको रास्ता दिखा रही है. वर्ष 1985 से महिला विकास परियोजना के तहत काम करते हुए उन्होंने सामाजिक मुद्दों जैसे स्वास्थ्य, साक्षरता, जल आदि पर महिलाओं को जागरूक किया है.वर्ष 1992 में जब वो बाल-विवाह जैसे मुद्दे पर आवाज़ उठाने लगी तो उन्हें इसका गंभीर परिणाम भुगतना पड़ा. उनके साथ सामूहिक बलात्कार किया गया. लेकिन भँवरी देवी ने नज़रें नहीं झुकाई और खुलकर इस बारे में लोगों से बात की. सामाजिक बहिष्कार के बावजूद उन्होंने अपना जीवन महिलाओं के कल्याण के लिए समर्पित कर दिया.
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लक्ष्मी
16 वर्ष की उम्र में ही दिल्ली के व्यस्त खान मार्केट इलाके में एक लड़की पर एसिड फेंका गया. यह लड़की और कोई नहीं लक्ष्मी थी. उसके परिवारवालों ने उसका फौरन उपचार करवाया. इस उपचार और न्याय के लिए लक्ष्मी की लड़ाई में उसके परिवार के सारे संसाधन और पैसे खत्म होने के कगार पर पहुँच गए. लक्ष्मी ने दूसरों के बारे में सोचते हुए उच्चतम न्यायालय में एसिड की बिक्री के नियमन के लिए जनहित याचिका दायर की. इस वर्ष मार्च में लक्ष्मी के प्रयासों के लिए उन्हें ‘इंटरनेशल वूमेन ऑफ करेज अवार्ड’ से सम्मानित किया गया.
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वंदना लूथरा
वंदना लूथरा किसी व्यवसायिक घराने से नहीं आती. छोटी-सी उम्र में ही उन्हें सभी के बाल काटने का और अपने घर के सदस्यों पर फेसियल करने का शौक था. कॉलेज के जमाने में उन्हें ऐसे कई दोस्त मिले जो अपना वजन घटाना और सुंदर दिखना चाहती थी. तभी उन्हें एहसास हुआ कि उनके पास अपने हुनर को व्यवसाय में बदल कर संतुष्टि का अच्छा अवसर है. अपने इसी जुनून के कारण वो आज ‘वंदना लूथरा कर्ल्स एंड कर्व्स’ की संस्थापक और मालकिन है. यह कंपनी आज ब्यूटी पार्लर और जिमनेसियम के लिए विश्व भर में मशहूर हो चुकी है. Next……..
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