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नारी एक शक्ति है… नारी बलिदान का रूप है… व प्रतिज्ञा की मिसाल है. यदि वो तलवार थाम ले तो अच्छे से अच्छा योद्धा भी उनके सामने कुछ नहीं है जिसकी सबसे बड़ी मिसाल हैं झांसी की रानी जिन्होनें आजादी की लड़ाई में अंग्रेजों के छक्के छुड़ा दिए थे. आज के युग में भी, क्षेत्र भले कोई भी क्यों ना हो, पर नारी आज भी संघर्ष कर रही है और हर एक क्षेत्र में अपना लोहा मनवा रही है.
जानिए कुछ ऐसी ही भारतीय महिलाओं के बारे में जिंन्होंने पहली महिला प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति, संगीतकार, अभिनेत्री आदि के रूप में अपने कार्य को सफलतापूर्वक निभाया.
इंदिरा गांधी
तेज तर्रार इंदिरा गांधी हमारे देश की पहली महिला प्रधानमंत्री थीं. वे पंडित जवाहरलाल नेहरु की इकलौती पुत्री थीं और वर्ष 1966 में पहली बार प्रधानमंत्री बनी. अपने राजनीतिक जीवन में इंदिरा गांधी ने तीन बार प्रधानमंत्री का कार्यभार संभाला. उनके कार्यकाल में हरित क्रांति, बैंको का राष्ट्रीयकरण और पाकिस्तान पर युद्ध में जीत हासिल करना व इसकी बदौलत नया बांग्लादेश बनाना जैसे बड़े-बड़े कार्यों को अंजाम दिया गया.
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प्रतिभा पाटिल
प्रतिभा पाटिल भारत की आजादी के बाद हमारे देश की पहली महिला राष्ट्रपति रह चुकी हैं. उन्होंने 2007 में यूपीए सरकार के कार्यकाल में यह पद संभाला. पाटिल ने अपने कार्यकाल के दौरान महिलाओं व बच्चों के कल्याण के लिए हर संभव प्रयास किए. उन्होंने दिल्ली व मुंबई में खासतौर पर ‘वर्किंग वूमेन’ होस्टल खुलवाए.
किरण बेदी
पिछले कुछ समय से मीडिया खबरों में अक्सर दिखाई देने वाली किरण बेदी हमारे देश की पहली महिला आईपीएस हैं. किरण बेदी ने अपने कॅरियर की शुरुआत बतौर अध्यापिका अमृतसर के खालसा कॉलेज से की. लाखों युवाओं की प्रेरणास्रोत किरण बेदी ने नवज्योति व इंडिया विजन फाउंडेशन जैसी संस्थाओं का गठन भी किया व अपने प्रबल कार्यों के लिए उन्हें कई पुरस्कारों से भी नवाजा गया.
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जुबैदा बेगम धनराजगिर
जुबैदा बेगम धनराजगिर भारतीय सिनेमा की पहली बोलती फिल्म की अभिनेत्री थी. जुबैदा मूक फिल्मों की अभिनेत्री फातिमा बेगम की ही बेटी थी जो अपनी मां के काम से प्रेरित हो इस क्षेत्र में आई थी. जुबैदा 12 साल की उम्र में ही अपना कॅरियर शुरु कर दिया था, जिस दौरान उसने कई बड़ी-बड़ी फिल्मों में काम किया और सिनेमा जगत में सफलता हासिल की.
फातिमा बेगम
फातिमा बेगम ने भारतीय सिनेमा जगत में तब कदम रखा जब महिलाओं का इस क्षेत्र में होना अच्छा नहीं माना जाता था और यह क्षेत्र केवल पुरुष प्रधान था. फातिमा वैसे तो मूक फिल्मों की हिरोइन थी लेकिन अभिनय के अलावा फातिमा निर्देशन में भी माहिर थी. वह भारतीय सिनेमा की पहली महिला निर्देशक थी.
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पद्मा बंदोपाध्याय
पद्मा बंदोपाध्याय एक ऐसा नाम है जिन्होंने साबित किया कि महिलाएं किसी भी क्षेत्र में पीछे नहीं हैं. पद्मा भारतीय वायु सेना की पहली महिला मार्शल बनी और वो इस क्षेत्र की दूसरी ऐसी महिला थी जिन्होंने भारतीय सेना में थ्री-रैंक-स्टार पाया था.
राजकुमारी दुबे
भारतीय सिनेमा के 30 व 40 के दशक में एक सुरीली आवाज ने कदम रखा, वो थी राजकुमारी दुबे जो इस क्षेत्र की पहली महिला पार्श्वगायिका बनी. ‘बावरे नैन’, ‘महल’, ‘पाखीजा’, इत्यादि जैसी पिल्मों को अपनी आवाज देने वाली राजकुमारी दुबे ने केवल 11 वर्ष की उम्र में ही भारतीय सिनेमा में कदम रख लिया था.
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सीबी मुथम्मा
सीबी मुथम्मा पहली ऐसी महिला थी जिन्होंने भारतीय सिविल सेवा की परीक्षा दी और भारतीय विदेश सेवा में नौकरी हासिल की. मुथुम्मा ने अपने कार्यभार के दौरान कई बड़े काम भी किए, जिसमें सबसे बड़ा काम उनका लैंगिक समानता के लिए संघर्ष. वे खुद भी अपनी नौकरी में मिलने वाली पदोन्नति के लिए संघर्ष करती रही.
मीरा कुमार
पूर्व डिप्टी प्रधानमंत्री बाबू जगजीवन राम व स्वतंत्रता सेनानी इंद्रानी देवी की पुत्री मीरा कुमार देश की पहली महिला लोकसभा अध्यक्षा हैं. उन्होंने यह कार्यभार यूपीए-2 के कार्यकाल में संभाला. लोकस्भा अध्यक्ष की सीट पर बैठने से पहले उन्होंने मंत्री के पद पर भी काम किया.
सुचेता कृपलानी
एक महिला का मुख्यमंत्री बनना भारतीय राजनीति की बड़ी सफलताओं में से एक है लेकिन क्या आप जानते हैं कि देश की पहली महिला मुख्यमंत्री कौन थी. सुचेता कृपलानी कांग्रेस पार्टी की ओर से वर्ष 1963 में उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री बनी. सुचेता के लिए सबसे बड़ी चुनौतीतब के कर्मचारियों के बीच वेतन को बढ़ानी की थी. उस समय सभी कर्मचारी 62 दिनों तक हड़ताल पर बैठे रहे लेकिन सुचेता ने बिना किसी डर के सारी समस्या का समझदारी से हल निकाला.
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क्या है इस रंग बदलते शिवलिंग का राज जो भक्तों की हर मनोकामना पूरी करता है?
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