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साल 2013 और तारीख 17 मई, जिस दिन किरण (बदला हुआ नाम) नाम की महिला ने भरी अदालत में चिल्ला-चिल्ला कर कहा कि नारी निकेतन में उसे पीटा जाता था और इस हद तक उसके साथ मार-पिटाई की जाती थी जब तक वो उनके आगे मूर्छित ना हो जाए. किरण नाम की महिला जीबी रोड स्थित कोठा नंबर -40 से मुक्त कराई गई थी और उसके बाद उसे नारी निकेतन ले जाया गया. नारी निकेतन में किसी व्यक्ति ने किरण की कस्टडी लेने की मांग की थी पर जब किरण ने साफ तौर पर उस व्यक्ति के साथ जाने से इंकार कर दिया तो उसके साथ पूनम सिंह नाम की कर्मचारी महिला मार-पिटाई किया करती थी और उसे उस व्यक्ति के साथ चले जाने के लिए विवश किया करती थी. यहां तक कि किरण का एक बेटा भी था और नारी निकेतन की महिला कर्मचारी उसे अपने बेटे से मिलने नहीं देती थी.
हम लंबे समय की बात नहीं करेंगे बल्कि इसी साल 2013 में किरण ही नहीं बल्कि नारी निकेतन में बहुत सी महिलाओं के साथ ऐसी घटनाएं हुई हैं जिन्होंने समाज में सरकार की महिलाओं से संबंधित योजनाओं के प्रति अविश्वास का माहौल पैदा कर दिया. हरियाणा के इकलौते नारी निकेतन में 17 वर्ष की दो नाबालिग लड़कियां की लाशें फंदे से लटकी हुई मिलीं. दोनों के शव एक ही बाथरूम में पानी के पाइप पर चुनरियों से लटके हुए थे. इस घटना की जांच के लिए उपायुक्त ने मामले की मजिस्ट्रेटी जांच करने के आदेश दिए पर इसके बावजूद भी दोनों नाबालिग लड़कियों के ऐसे करने के पीछे का कारण नहीं पता चल पाया. हमारे समाज में सरकार द्वारा योजनाएं तो बनाई जाती हैं पर योजनाओं का पालन किस रूप में हो रहा है या नहीं भी हो रहा है इसके निरीक्षण से सरकार को कोई सरोकार नहीं होता.
नारी निकेतन योजना
अनाथ, विधवा, निराश्रित, तिरस्कृत महिलाओं को आश्रय व सहारा प्रदान करने तथा उनके निःशुल्क परिपालन व पुर्नवास के लिए नारी निकेतनों का संचालन किया गया. नारी निकेतन संस्था में इन महिलाओं के निःशुल्क आवास, भरण पोषण, शिक्षण, प्रशिक्षण और पुर्नवास की व्यवस्था की जाती है. सरपंच, नगरीय निकाय, विधायक, सांसद पंजीकृत स्वयंसेवी संस्थाओं के अध्यक्ष द्वारा महिला की आश्रय विहीनता संबंधी प्रमाण पत्र देने पर कलेक्टर की अध्यक्षता में संबंधित नारी निकेतन संस्था में प्रवेश दिया जाता है. सरकारी आंकड़ों के अनुसार हर वर्ष नारी निकेतन योजना से ज्यादा से ज्यादा महिलाएं लाभान्वित होती हैं और लाभान्वित होने का सिलसिला हर वर्ष बढ़ता जाता है.
क्या जरूरत है नारी निकेतन जैसी संस्थाओं की
सरकारी कर्मचारी आंकड़ों के सहारे सरकार की नारी निकेतन योजना की तारीफ करते हुए इस बात से बिफर जाते हैं कि समाज में हर वर्ष नारी निकेतन का सहारा लेने वाली स्त्रियों के आंकड़ों में बढ़ोत्तरी होना हितकारी बात नहीं है. हमारे समाज में ऐसी स्थिति ही क्यों आती है कि स्त्रियों को विवश होकर नारी निकेतनों का सहारा लेना पड़ता है.
हम सरकार की नारी निकेतन योजना के खिलाफ नहीं है पर सच यह है कि लगातार यह बात दिमाग से बिसरती नहीं है कि आज भी हमारा समाज ऐसी स्थिति में है जहां हमारे समाज में रहने वाली नारियों को कथित रूप से दुर्गा मां का दर्जा दिया जाता है और साथ ही उनके साथ इतना घृणित व्यवहार किया जाता है कि उन्हें नारी निकेतन जैसी जगहों का सहारा लेना पड़ता है. थोड़ा मुश्किल और दिल पर आघात पहुंचाने वाला सवाल है कि आखिरकार क्यों हमारे समाज में नारी निकेतन जैसी संस्थाओं की जरूरत पड़ती है?
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