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रत्ना अपने माता-पिता की एकलौती संतान थी. वो अपने माता-पिता के साथ बुंदेलखण्ड शहर में रहती थी. उसके माता-पिता का एक ही सपना था कि उसकी शादी बुंदेलखण्ड में ही हो ताकि वह उनकी आंखों के सामने रह सके. काफी प्रयास के बाद उन्हें अपने ही शहर में एक लड़का मिला जिससे उन लोगों ने रत्ना की शादी कर दी. शादी के बाद रत्ना काफी खुश थी लेकिन उसकी खुशी ज्यादा दिनों तक नहीं टिक सकी. उसके ससुराल वाले उस पर अपने माता-पिता से पैसे लाने का दबाव बनाने लगे पर वो इससे इंकार करती थी. पहले तो उसके ससुराल वाले सिर्फ बोलते थे ताना मारते थे लेकिन कुछ दिनों से वो उसे मारने भी लगे थे. एक दिन तो उसे उन्होंने इतना मारा कि वह बेहोश हो गई.
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एक दिन जब सहा न गया तो वो अपने माता पिता के घर चली आई. यहां पर उसने टी.वी. पर “बेलन गैंग” के बारे में सुना. उस गैग के बारे में जान कर उसको लगा कि वो गैंग उसकी मदद कर सकता है और उसने उस गैंग की मदद ली और फिर से अपने ससुराल जा कर रहने लगी. उसके ससुरालवाले भी उस गैंग की डर से उसे खुशी-खुशी अपने पास रखने के लिए राजी हो गए वह भी बिना किसी शर्त के.
गुलाबी गैंग और बेलन गैंग की क्यूं है जरूरत?
आज नारी सशक्तिकरण का नारा हर तरफ सुनने को मिल रहा है चाहे वो राजनीतिक दल हो या फिर कोई स्वयंसेवी संगठन. हर जगह एक ही आवाज है कि महिला सशक्तिकरण होना चाहिए लेकिन जमीनी स्तर पर कोई भी प्रभावी कदम नहीं उठाए जाते. ऐसे में गुलाबी गैंग और बेलन गैंग जैसे आक्रामक और महिलाओं की स्वतंत्रता की आवाज उठाने वाले संस्थान अवश्य महिला सशक्तिकरण को जमीनी स्तर पर ला रहे हैं. आज आपको यह जान कर हैरानी होगी कि अन्य जगहों की तुलना में बुंदेलखण्ड में ज्यादा महिला सशक्तिकरण देखने को मिलता है.
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बेलन गैंग की पहचान
हाल ही में कई महिलाओं ने मिलकर “गुलाबी गैंग” बनाया था जिसका काम था नारियों को उनका सही हक दिलाना ताकि वह समाज में सर उठा के जी सकें और इसी तर्ज पर बना बैलन गैंग. दोनों संगठनों की महिलाओं में मामूली फर्क है. गुलाबी गैंग में महिलाओं की पहचान जहां ‘डंडा’ है, वहीं बेलन गैंग से जुड़ी महिलाएं आन्दोलन के वक्त ‘बेलन’ से लैस रहती हैं.
बेलन गैंग की अवधारणा
सम्पत पाल की अगुवाई में गठित ‘गुलाबी गैंग‘ ने देश ही नहीं, विदेशों में भी शोहरत हासिल की जिसके कारण उन्हें पेरिस और इटली से भी महिला सशक्तिकरण के विभिन्न कार्यक्रमों में बुलाया जाता है. इसी सब को देखते हुए बांदा मुख्यालय की रहने वाली पुष्पा गोस्वामी शहरी महिलाओं को एकजुट कर ‘बेलन गैंग‘ नाम से नया संगठन बनाकर चर्चा में आ गईं.
इस संगठन से जुड़ी महिलाओं ने उन सभी मुद्दों को अपने एजेंडे में शामिल किया, जिनसे महिलाएं अकसर प्रभावित होती हैं, जैसे: घरेलू हिंसा, बाहरी हिंसा, बिजली, पानी की समस्या. इसके अलावा स्वास्थ्य की अव्यवस्था हो या फिर रसोई गैस की कालाबाजारी यह सभी उनके मुद्दे में शामिल हैं.
इस गैंग से जुड़ी पुष्पा बताती हैं कि रोजमर्रा के उपयोग में आने वाले संसाधनों से अकसर महिलाओं को ही जूझना पड़ता है. पुरुष महिलाओं की परेशानी से अनजान रहते हैं इसलिए उन लोगों ने अपने एजेंडे में ये सब मुद्दे शामिल किए हैं ताकि वह महिलाओं की मदद कर सकें.
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कई लोग इसे महिलाओं के लिए एक बेहतरीन स्वयंसेवी संगठन मानते हैं तो कई ऐसे भी हैं जो ऐसे किसी भी संस्थान और गैंग को समाज के लिए खतरनाक मानते हैं. जब गुलाबी गैंग अपने चरम पर था तो कई असामाजिक तत्वों ने इसकी आड़ लेकर लोगों को लूटने का काम भी किया. ऐसे में इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि बेलन गैंग का दुरुपयोग नहीं होगा.
परंतु हमें यह भी नहीं भूलना चाहिए कि ऐसे गैंग कहीं ना कहीं महिलाओं को सशक्त करने की दिशा में कार्य करते हैं. जिन महिलाओं को इनके बारे में पता होता है वह अपने जीवन में निर्भय होकर रह पाती हैं. यूं तो पारिवारिक मसलों में किसी दूसरे की दखलंदाजी नहीं होनी चाहिए लेकिन जब आपके परिवार में ही आपको प्रताड़ित किया जाए तो कुछ भी गलत नहीं होता. गुलाबी गैंग और बेलन गैंग की प्रासंगिकता पर बहस अंतहीन हो सकती है लेकिन जब तक महिलाएं इसे सही मानती हैं तब तक इस पर अंगुली उठाना सही नहीं होगा.
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