Menu
blogid : 12846 postid : 111

वजह कहीं पुरुषवादी मानसिकता तो नहीं !!!

स्त्री दर्पण
स्त्री दर्पण
  • 86 Posts
  • 100 Comments

manपुरुष समाज ये कभी नहीं चाहेगा कि कोई भी स्त्री उससे आगे बढ़े या फिर कोई उसे चुनौती दे. अपनी इसी चाहत को जिंदा रखने के लिए उसने हमेशा से ही नारी के विकास का विरोध किया है और आज भी कर रहा है. उसने स्त्रियों को विज्ञान, कला, संस्कृति इन सब चीजों से दूर रखा है ताकि वो शिक्षित, सजग और आत्मनिर्भर न बन सकें. क्योंकि पुरुष समाज को हमेशा ये डर सताता रहा है कि कहीं वो अगर इनको उन सब चीजों से जोड़ देता है तो वो अपना अधिकार न मांगने लगें. कहने को तो हम आधुनिक युग में जी रहे हैं लेकिन आज भी हमारे पुरुष समाज की सोच 18वीं सदी वाली है.  आज के समय में महिलाएं जिस तरह से अपनी हर मर्यादाओं को तोड़कर आगे बढ़ रही है उसे देख कर पुरुष समाज ये सोचने पर मजबूर हो गया है कि क्या पुरुष और स्त्री का स्थान समाज में एक हो गया है ? क्या आपको पता है कि समस्या की शुरुआत यहीं से होती है ?


Read:TOP OF 2012 – दुनिया की 10 प्रभावशाली महिलाएं


महिलाओं के साथ अपमान की घटनाएं होना कोई नई बात नहीं हैं. पुरुष प्रधान समाज की मानसिकता, राजनीतिक ताकत से बेशर्म होती संस्कृति, कानून को ठेंगे पर रखने की मानसिकता, संवेदनाशून्य पुलिस बल तथा जमीन से उखड़े और कानून से बेखौफ प्रवासी लोगों की बढ़ती आबादी इन घटनाओं की वजहों में शामिल हैं. इससे अलग भी ढेरों कारण हो सकते हैं पर ये कारण सबसे प्रमुख माने जाते हैं.


जब कोई हादसा सुर्खियों में आता है, आक्रोश नजर आता है, टीवी पर गर्मागर्म बहस देखने को मिलती है, मोमबत्तियों के साथ जुलूस निकलता है, अधिकारियों और राजनेताओं के वादे मिलकर पारिवारिक माहौल बना देते हैं लेकिन महिलाओं के लिए हालात नहीं बदलते, क्यों ? इस ‘क्यों’ का जवाब मिलना बहुत मुश्किल है. आज स्थिति इतनी खराब हो चुकी है कि कोई भी शब्द उसको बयां नहीं कर सकते हैं और इसका सबसे बड़ा कारण पुरुषों की मानसिकता है.


Read: कहां है सुरक्षा और अधिकार ????


यह बात कुछ हद तक सही भी हो सकती है कि पुरुष वर्चस्व और सामंती उत्पीड़न के खिलाफ स्त्रियों में बढ़ रहे प्रतिरोध के कारण उन पर हिंसा भी बढ़ रही है. पर हम ये जानते हैं कि यह प्रतिरोध ग्लोबल चेतना के कारण बढ़ा है. एक ओर तो हम आधुनिकता की बात करते हैं, बदलाव की बात करते हैं, पर विचारों व मानसिकता में जो बदलाव अपेक्षित है वह बदलाव आज तक नहीं आया. जब-जब स्त्री अधिकारों की बात आती है तो परम्पराओं के नाम पर उसका हनन होता है.


देश के महानगरों और महानगर बनने की कगार पर खड़े नगरों में पुरुषों में यौन कुंठा और निराशा दोनों बढ़ी है. नगरों में स्त्रियों के साथ बढ़ रही छेड़खानी और बलात्कार की घटनायें इसकी गवाह हैं. स्त्रियों से ये छेड़खानी और यौन दुर्व्यवहार की घटनायें लगातार बढ़ती जा रही हैं सामाजिक जागरूकता और विकास के आँकड़े कुछ भी कहें, हकीकत यह है कि स्त्रियों के प्रति परम्परागत पुरुषवादी रवैये में कोई बदलाव नहीं आया है. आखिर खोट कहाँ है, इसके पीछे कौन से कारण हैं? आखिर इस बढ़ती घटना के लिए कौन दोषी है?


आज हमारा समाज विनाश की तरफ बढ़ रहा है, संस्कृति में गिरावट आ रही है और लोग निरंकुशता की ओर जा रहे हैं. उन्हें लगता है कि वे कुछ भी गलत करके भाग सकते हैं लिहाजा ऐसी घटनाओं में बढ़ोत्तरी हो रही है. इन्हें लगता है कि कोई कुछ करेगा नहीं, पुलिस करप्ट है, कानून व्यवस्था ठीक नहीं है. अधिकारियों और नेताओं को लगता है कि वे सत्ता में हैं, कोई उनका कुछ बिगाड़ नहीं सकता और ऐसे में वे अपनी इच्छानुसार गलत कार्य करने से परहेज़ नहीं करते. स्त्रियाँ आज के आधुनिक दौर में जिस प्रकार हिंसा का शिकार हो रही हैं वह समाज व सरकार के लिए चुनौती है, परन्तु यहाँ वास्तविकता यह है कि पुरुष प्रधान समाज स्त्री की जागरुकता को पचा नहीं पा रहा हैं. इसलिए दिन प्रतिदिन ये घटनाएं बढ़ती जा रही हैं.


Read:जानिए हवस का शिकार बनी औरतों की आपबीती !!!!

जहर पीकर बदली जिंदगी….

जो सो रहे हैं ओढ़कर गरीबी


Tag:girl ,rape, women , women and society, man, rape cases in india ,समाज,संस्कृति,पुरुष,नारी,

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh