Menu
blogid : 12846 postid : 105

जानिए हवस का शिकार बनी औरतों की आपबीती !!!!

स्त्री दर्पण
स्त्री दर्पण
  • 86 Posts
  • 100 Comments

delhi

उसका रोना, चिल्लाना उसका तड़पना, कुछ भी उस पर असर नहीं कर रहा था. वो तो बस अपनी हवस को पूरा करने में लगा हुआ था. जैसे वो उसके रोज के काम में शामिल हो और उसके बाद उसने वो किया जो सोच कर भी रूह कांप जाए.  उसने उसके छोटे-छोटे टुकड़े किए और फिर बोरे में भर के दूर फेंक दिया.

मीडिया ने इस खबर को खूब उछाला, लोगों ने भी जम कर नारेबाजी की, पर इसका कोई असर नहीं हुआ. क्योंकि किसी ने भी उस बच्ची के दर्द को नहीं समझा, उसे महसूस नहीं किया. नतीजा यह हुआ है कि वो दरिंदा आज भी खुलेआम घूम रहा है.


ऐसी कई कहानियां आपको रोज पढ़ने को मिलेंगी. पर क्या आपको अंदाजा भी है कि ऐसी दर्दनाक कहानियों के पीड़ित को कितना दर्द होता होगा? इससे उसका वर्तमान ही नहीं भविष्य भी बरबाद हो जाता है लेकिन समाज को इससे कोई मतलब नहीं है.


Read: पापा ने मेरे साथ…….और रो पड़ी(जानिए माया की आपबीती)

Read:नारी है अब सब पर भारी

समाज तो बस हर बात के लिए नारी को ही दोष देता आया है और शायद हमेशा देता भी रहेगा. हर नियम, हर कानून को बस नारियों पर ही लागू किया जाता है,  जैसे पुरुषों को तो आजाद रहने का वरदान मिला हो.


पुरुष प्रधान समाज हमेशा यह जिद क्यों करता है कि जो उसे पसंद आ जाए वो किसी भी कीमत पर उसकी होनी चाहिए, फिर चाहे वह कोई स्त्री हो या फिर वस्तु? उन्हें यह हक किसने दिया कि वो तय करे कि जो महिला उसकी नहीं हुई वो किसी और की भी नहीं होगी? समाज में महिलाओं की स्थिति ऐसी है कि हर पुरुष उसे अपनी जागीर समझता है. महिलाओं को तो छोड़िए अब तो ये बच्चियों को भी अपना शिकार बनाया जाने लगा है.


कितना आसान है पुरुषों के लिए किसी को भी अपने हवस का शिकार बनाना. लेकिन जरा सोचिए कितना दर्दनाक है किसी भी औरत या बच्ची के लिए किसी के हवस का शिकार बनना !!!


Read: पति तो पति है वह कैसे रेप कर सकता है !!


क्यों आज पुरुष समाज में हवस की चाहत इतनी बढ़ गई है कि वो न उम्र देखते हैं, न जगह. घर हो या मन्दिर कोई भी ऐसी जगह नहीं है जहां पुरुषों ने अपने हवस का प्रदर्शन नहीं किया हो.


अभी खाप पंचायत काफी चर्चा में हैं कि वो महिलाओं की आजादी पर पाबंदी लगा रही हैं. महिलाएं जींस नहीं पहन सकतीं, फोन पर बात नहीं कर सकतीं आदि जैसे बेतुके फरमान जारी किए जाते हैं. क्यों पुरुषों को इसका भागीदार नहीं बनाया जा रहा है? जब पुरुष समाज इतने बड़े-बड़े अपराधों को अंजाम देता हैं तब ये पंचायतें कहां रहती हैं? क्यों वो इनके लिए सजा नहीं तय नहीं कर पाती हैं?


कहीं इसका कारण यह तो नहीं कि वो भी इसी पुरुष समाज का समर्थन करती हैं? इसीलिए वो यह समझती हैं कि वो जो कर रहे हैं वो सही कर रहे हैं. इनका कहना हैं कि कम उम्र में शादी कर दो तो यह सब यानि बलात्कार, रेप जैसी घटनाएं नहीं होंगी पर ये अकसर देखा गया हैं कि बलात्कारी या इस मानसिकता वाले लोग पहले से शादी शुदा रहते हैं. इसीलिए यह कहना गलत होगा कि शादी होने से यह सब बंद हो जाएगा.


Read: चुलबुली लड़की अचानक शांत क्यों हो गई (जानिए पूजा की आपबीती)


यह तभी बंद होगा जब पुरुष समाज अपनी मानसिकता को बदलेगा. अपनी हवस को बढ़ने से रोकेगा. पर पुरुष समाज ऐसा कर पाएगा या नहीं, इसका जवाब भविष्य के गर्भ में छुपा हुआ है.



Read:सामाजिक बंदिशें खत्म हो रही हैं

अब प्रशासन पर विश्वास नहीं रहा

इज्जत बचानी है तो मर्द के सामने ही मत आओ !!


Tag: rape,rape cases in india,women and society, khap panchayat, पुरुष समाज,खांप पंचायत,महिला,नारी, औरत

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh