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एक चाय कंपनी में सेल्स एग्जक्यूटिव के तौर पर काम करने वाले बीनू प्रसाद से मंजू की मुलाकात साल 2005 में हुई थी. दोनों के बीच दोस्ती हुई और धीरे-धीरे दोस्ती ने प्यार का रंग ले लिया. आखिरकार मंजू ने अपने प्रेमी बीनू के साथ भागने का फैसला किया और दोनों एक साथ रहने लगे. दोनों के एक बेटा भी हुआ. पर क्या आप सोच सकते हैं कि वो ही प्रेमी एक दिन यह कहेगा कि अपनी किडनी बेच दे. कहते हैं कि महिलाओं पर प्रेम का गहरा असर होता है जिस कारण जब वो प्रेम में होती हैं तो वो किसी भी प्रकार के सच से वंचित होती हैं.
26 साल की मंजू का परिवार साल 2009 में बेहद मुश्किल दौर से गुजर रहा था और उसके परिवार की माली हालत बेहद खराब हो चुकी थी. मंजू के साथ रहने वाले उसके प्रेमी ने इस मुश्किल दौर से बाहर निकलने के लिए एक रास्ता सुझाया. उसने मंजू से कहा कि वह अपनी किडनी बेच दे. शुरुआत में तो मंजू तैयार नहीं हुई, लेकिन अपने बेटे के लिए उसे न चाहकर भी अपनी किडनी बेचने का फैसला करना पड़ा. दरअसल उसके प्रेमी ने उसे धमकी दी थी कि अगर वह किडनी बेचने के लिए तैयार नहीं हुई, तो वह उनके बेटे को मौत के घाट उतार देगा. मंजू ने अपने बच्चे के बारे में सोचकर अपनी किडनी बेच दी, लेकिन किडनी के बदले मिले सारे पैसे लेकर उसका प्रेमी फरार हो गया.
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महिला पर प्यार का जादू
महिला जो हर रिश्ते को प्यार की माला में बांधकर रखती है और जो अपने से ज्यादा महत्व रिश्तों को देती है पर पुरुष प्रधान समाज उसके प्यार की कदर नहीं कर पाता है. एक नारी जिसे प्यार में अंधा कहा जाता है पर मर्द प्रधान समाज यह भूल जाता है कि नारी प्यार में अंधी इसलिए होती है क्योंकि उसे अपने रिश्तों पर विश्वास होता है पर जिस दिन उसका विश्वास रिश्तों पर से टूट जाता है तो नारी अपने अस्तित्व तक को भुला देती है. वास्तव में अपने प्रेमी से भावनात्मक लगाव रखती है. पुरुषों को जब अपना मनचाहा विकल्प कहीं और मिल रहा होगा तो वह कब तक खुद को बांध कर रखेंगे. अपनी साथी की भावनाओं की परवाह किए बगैर वह संबंध समाप्त कर लेते हैं.
महिलाओं को अपनी उपयोगिता समझनी चाहिए. अगर आपका प्रेमी सिर्फ शारीरिक संबंध बनाने में ही रुचि रखता है तो यह बात स्पष्ट है कि आपकी जगह कोई भी ले सकता है. शारीरिक संबंध विवाह के पश्चात स्थापित किए जाएं तो ही बेहतर है. प्रेम जैसी पवित्र भावना का मजाक बनाना किसी भी रूप में लाभकारी सिद्ध नहीं हो सकता. भौतिकवादी सुख-सुविधाओं को अपनी प्रमुखता समझना कुछ समय के लिए संतुष्टि जरूर दे सकता है लेकिन इसके दूरगामी परिणाम बेहद घातक हो सकते हैं.
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